Monday, June 3, 2024

चंद पैसों के लिए इंसान पल पल मर रहा है!

 ना जाने इंसान किस ओर बढ़ रहा है,

छोटी-छोटी बातों पर आपस में लड़ रहा है,

जीना तो चाहता है हर पल सुकून से,

लेकिन चंद पैसे के लिए,  इंसान पल-पल मर रहा है,


संतुष्टि उसे अब सिर्फ दो वक़्त की रोटी से नहीं,

गाड़ी और बंगला भी, इंसान के लिए कम पड़ रहा है,

हैवानियत की हद पार कर रहा है इंसान,

चंद पैसे के खातिर, भाई से भाई लड़ रहा है!

जीना तो चाहता है हर पल सुकून से,

लेकिन चंद पैसे के लिए, इंसान पल-पल मर रहा है!


गरीबों से अब कोई नाता नहीं रखना चाहता,

आदर सत्कार अब यहाँ कौन किसका कर रहा है,

बाप की दौलत अपने नाम कर इंसान, 

घर से बेघर माँ बाप को कर रहा है!

जीना तो चाहता है हर पल सुकून से,

लेकिन चंद पैसे के लिए,  इंसान पल-पल मर रहा है!



... Kishor Saklani

शादी और डर!

 जीवन जीने के तौर तरीके बदलने लगें हैं, लोग बदलने लगें हैं, माहौल बदलने लगा है, शादी जिसको जीवन का पवित्र बंधन माना जाता है, जिसमें कई रस्मे निभाई जाती है साथ जीने मरने कि कस्मे खाई जाती हैं, पहले ये कस्मे निभाई भी जाती थी, लेकिन अब कई बार देखा जाने लगा है कि शादी होने के बाद एक रिश्ता ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकता,  कुछ ना कुछ वजहों से ये रिश्ते बिखरते नज़र आते हैं, जहाँ एक तरफ शादी का ये रिश्ता जीवन को सरल बनाने के लिए जोड़ा जाता है वहीं कई रिश्तों में इसके उलट होने लगा है लोग शादी के बाद ज़्यादा परेशान दिखाई पड़ते हैं शादी से पहले खुशमिजाज रहने वाला इंसान शादी के बाद डिप्रेशन का शिकार बनने लगता है, ऐसे रिश्तों ने समाज में शादी के प्रति लोगों के मन में कहीं ना कहीं डर का माहौल पैदा किया है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है, आज कि कुछ लड़कियों का परिवार के साथ असहज महसूस करना, एक परिवार में लड़की जब पत्नी बनके जाती है तो वो घर के काम करने लगती है वो अपने काम को ज़िम्मेदारी समझे तो ठीक है लेकिन वो अंदर से ख़ुद को घर कि नौकरानी समझने लगती हैं, वहीं दूसरी तरफ वो अपनी मनमर्जी से परिवार में रहना चाहती है, जिससे रिश्तों में कड़वाहट पैदा होने लगी है, लेकिन ये समझना जरुरी है कि एक परिवार में मनमर्जी से नहीं रहा जा सकता मनमर्जी से रहने के लिए अकेला जीना बेहतर निर्णय हो सकता है, परिवार में रहने के लिए सभी लोगों को समझना पड़ता है, हमें सभी चीजों को ध्यान में रखकर निर्णय लेने पड़ते हैं  शादी के बाद हमारी सारी खुशियाँ परिवार को लेकर होती है,  इसलिए रिश्तों कि अहमियत समझे छोटी छोटी चीजों  के लिए ज़िद ना करें, अपनी और दूसरे कि ज़िन्दगी नर्क ना बनाये, शादी करके एक परिवार के लिए अपना फर्ज़ निभाएं!... Kishor saklani

जीवन की व्यस्तता और दूर होते दोस्त!

 एक वक़्त ऐसा भी था जब गांव में हर रोज शाम को सारे दोस्त इक्क्ठे हुआ करते थे, और ख़ूब मौज मस्ती किया करते थे, तब हमें दुनियादारी से कोई लेना देना नहीं होता था, बस दोस्तों के साथ मौज मस्ती करते करते वो शामें कट जाया करती थी, हमें उस वक़्त ये आभास तक ना था कि जिन दोस्तों के साथ हम  आज इतने आनंदित हो रहे हैं , जीवन कि व्यस्तता के चलते एक वक़्त के बाद हम सारे दोस्त एक दूसरे से इतने दूर हो जायेंगे की हमारे लिए एक दूसरे का हाल चाल पूछने तक का समय निकालना भी मुश्किल पड़ जायेगा, आज कौन सा दोस्त ज़िन्दगी के किस दौर से गुजर रहा है हमें नहीं पता, ऐसा नहीं की हमें दोस्तों से कोई शिकायत है या उनसे कोई नाराज़गी है , बल्कि हम अपनी जिंदगी की उलझनों में इतने उलझ के रह जाते है की हम किसी और के लिए वक़्त ही नहीं निकाल पाते, फिर धीरे धीरे यहीं सब हमारी आदतों में शामिल हो जाता है, ज़िन्दगी बढ़ने के साथ साथ हम बहुत सारी उलझनों के बीच में ही उलझ कर रह जाते हैं!  लेकिन अपने उन दोस्तों के लिए ऊपर वाले से यहीं प्रार्थना है की हमेशा भगवान उन्हें ख़ुश रखें!... Kishor Saklani 

Thursday, August 3, 2023

आजादी का मतलब क्या है!

आज़ादी का मतलब क्या है,

हमें तो समझ नहीं आता?


कोई आजादी चाहता पहनावे की,

भूल रहे सब मर्यादा..

ना रोकटोक करे यहाँ कोई..

भाई, चाहे हो पिता माता,


आजादी का मतलब क्या है,

हमें तो समझ नहीं आता?


कानून सिर्फ नाम का है..

ये पैसो पर है बिक जाता,

दोषी बेखौफ घूम रहे..

ग़रीब इंसाफ कहाँ पाता.


आजादी का मतलब क्या है

हमें तो समझ नहीं आता?


अमीर यहाँ जाति के नाम पर

आरक्षण है पाता,

सामन्य जाति का ग़रीब बेचारा

इस आरक्षण में पीस जाता!


आजादी का मतलब क्या है

हमें तो समझ नहीं आता?

Written By- Kishor Saklani.

Sunday, August 28, 2022

"तेरा वक़्त ख़राब है"!

 तू डर मत, तू नहीं, तेरा वक़्त ख़राब हैं

बुझने ना दे, जो तेरे सीने में लगी आग हैं,

होंसला नहीं, कोई बढ़ाएगा तेरा यहाँ 

हर कोई, पर काटने के लिए बेताब है,


तू डर मत, तू नहीं, तेरा वक़्त ख़राब हैं


अकेला ही चलना पड़ेगा तुझे यहाँ ,

पूरा होगा इक दिन, जो देखा तूने ख्वाब हैं,

तुझे बताना होगा दुनियां को, कुछ ऐसा करके ,

तू आम इंसान नहीं, तू ही दुनियां का बादशाह है!


Written By-Kishor Saklani.

Monday, February 28, 2022

रिश्ता!

रिश्ते हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होते है! और हमारा जन्म होते ही हम बहुत सारे रिश्तों से जुड़ जाते है क्योंकि रिश्तों से ही मिलकर इक परिवार बनता है जैसे.. माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, चाचा-चाची और भी बहुत सारे रिश्ते होते है जो हमें और भी लोगों से जोड़ते हैं और जैसे जैसे हम बड़े होते जाते है बहुत सारे दोस्त हमारी ज़िदगी से जुड़ जाते हैं! रिश्तों के बिना हमारी जिंदगी अधूरी सी लगती हैं, चाहे वो हमारा परिवार हो या फिर हमारे दोस्त! रिश्ता इक एहसास होता है, सिर्फ इंसानों से ही नहीं प्रकृति में रहने वाले जीव-जंतुओं से भी हमारे रिश्ते जुड़ जाते हैं, या फिर ये समझ लीजिये की उनसे भी हमें लगाव हो जाता है! रिश्तों के सहारे हमारी जिंदगी का ये सफर आसान हो जाता है! रिश्तों से हमारी जिंदगी रंगीन होती है!

Written By-Kishor Saklani. (KRISH)

Wednesday, February 2, 2022

"कोहरे की चादर"।

मैं लगभग 2 साल से दिल्ली में नौकरी करता हूं। मैं यहाँ किराए के मकान में रह रहा हूं।  मैं हर रोज सुबह ऑफिस के लिए निकल जाता हूं। लेकिन कभी-कभी ऑफिस  निकलने से पहले मैं 10-15 मिनट के लिए छत पर टहलने जरूर जाता हूँ!  बात आज से एक डेढ़ महीने पहले की है उस दिन मैं ऑफिस निकलने से पहले छत पर गया हुआ था। तो मेरी नजर अचानक एक लड़की पर जाकर रुक गई  जिसका घर 2-4 मकान छोड़कर था। वह छत पर बाल बना रही थी और जैसे ही मेरी नजर उस पर पड़ी तो वो भी बस मुझे देख ही रही थी  मुझे देखते ही वो मुस्कुराई और फिर उसने शरमाकर उसने अपनी नजरें झुका ली। उसकी हंसी इतनी प्यारी थी कि मैं उसे कुछ देर तक देखता रहा, फिर बार-बार मेरी नजरों के सामने उसका वो मुस्कुराता चेहरा आने लगा। मानो उसकी मुस्कान ने मुझ पर कोई जादू कर दिया हो । ऑफिस में पुरे दिन मैं उसके ख्यालों में खोया रहता और उस दिन के बाद में उस लड़की को देखने रोज सुबह छत में जाने लगा। उसे देखने की मुझे आदत जो हो चुकी थी। दिल को सुकून मिलता था उसे देखकर।  और वो भी रोज उसी समय छत पर आने लगी शायद उसको भी मेरी आदत हो चुकी थी,  हमारे बीच इक अनकहा रिश्ता बन चुका था, आज 10 से 15 दिन हो गए। मैं रोज उसे देखने छत पर जाता हूँ लेकिन उसे देख नहीं पाता क्योंकि हमारे बीच रोज सुबह एक कोहरे की चादर आ जाती है!  और अब मुझे इंतजार है उस सुबह का। जब वो कोहरे की चादर हटेगी। और मैं फिर उसे रोज की तरह देख सकूंगा।

Written By-Kishor Saklani.

(यह कहानी सिर्फ काल्पनिक है।)

Monday, January 31, 2022

"अब मैं खुद अपने साथ चलूँगा!"

क्यों प्यार किया था तूने मुझसे,

जब मेरा दिल तोडना था,

मैं अकेला खुश था,

क्यों आदत बना डाली अपनी,

जब अकेला ही छोड़ना था

तू जानती है, मैं तुझसे बात किये बगैर नहीं रह पाऊँगा,

लेकिन अब हर बार कि तरह, तुझसे बात करने कि ज़िद मैं भी नहीं करूँगा,

मैं भी अब तुझसे कभी बात नहीं करूँगा,

फिर से अकेले खुश रहने की आदत डालूंगा,

अब मुझे भी किसी के साथ की जरूरत नहीं,

अब मैं खुद अपने साथ चलूँगा,

अब मैं खुद अपने साथ चलूँगा....

Written By- Kishor Saklani (KRISH)

Friday, March 26, 2021

तारों भरी इक रात होती!

 तारों भरी इक रात होती,

और तुम मेरे साथ होती!

हाथो मैं हाथ लिये,

प्यार भरी हमारी बात होती!


पहले तुम थोड़ा सा शर्माती,

फिर धीरे से मेरे करीब आती!

मुझसे नजरें चुरा के,

तुम मेरे सीने से लग जाती!

कितना हसीन वो लम्हा,

कितनी हसीन वो रात होती!


 तारों भरी इक रात होती,

और तुम मेरे साथ होती!


इक दूसरे कि बाहों में,

हम इस कदर खो जाते!

कुछ पल के लिए हम इक हो जाते,

ना होश में रहते हम,

इस दुनिया से बेखबर हो जाते!

कितना हसीन वो अहसास,

कितनी हसीन वो रात होती!


तारों भरी इक रात होती,

और तुम मेरे साथ होती!

Written By-Kishor Saklani(KRISH)


Sunday, March 7, 2021

महफिल दोस्तों की!

महफिल सजी दोस्तों के नाम थी,

बहुत खूबसूरत वो ढलती शाम थी|

हमारी यादों में ही शामिल है अब वह पल,

क्योंकि वह आज नहीं गुजरी हुई कल शाम थी|


बहुत दिन के बाद हम दोस्त मिले थे,

सबके  चेहरे पर एक अलग मुस्कान थी|

एक दोस्त की सगाई हुई है,

तो ये महफिल भी उसी के नाम थी|


 बहुत खुशी थी जब दोस्तों के आने का इंतजार था,

 हम सबके लिए ये बहुत बड़ा उपहार था|

 और भी ऐसे अनमोल पल हमारी जिंदगी में आते रहें,

 जिंदगी भर ऐसे ही दोस्ती हम निभाते रहें|


 न जाने कौन सा मोड़ जिंदगी में किसका आखिरी मोड़ होगा,

 सिर्फ यादें ही उसकी हमारे साथ होंगी वो हमसे बहुत दूर होगा|

 फिर गिनने लगेंगे हम वही दिन,

 उसके साथ में गुजारी हमने जो शाम थी|


महफिल सजी दोस्तों के नाम थी,

बहुत खूबसूरत वो ढलती शाम थी|

Written By-Kishor Saklani(KRISH)