हिंदी शायरी

             (1)
इक अजनबी  से मुलाक़ात  हो गई ,
न जाने उससे  ऐसी  कौन सी बात हो गई!
हर पल  उसी का ख्याल  है दिल  में,
ऐसा लगने लगा जैसे बिन  बादल  बरसात  हो गई!
(Written by-Kishor Saklani)

                         (2)
सोचता  हु क्या कभी उस  दिन  की शुरुआत  होगी,
हम खुशकिस्मत होंगे उस  दिन, जब आमने  सामने  हमारी बात होगी!
कितना खूबसूरत वो दिन होगा,न जाने कौन सी वो बात होगी,
जिस बात के बहाने  हमारी प्यारी  सी मुलाकात  होगी !
(Written by-Kishor Saklani)

                    (3)
आप  जैसे  दोस्तों  में हमारी  जान  होती  है,
आप  जैसे  दोस्तों  से  मोहब्बत  बेइंतेहा  होती है!
टूटने न देना दोस्ती की इस डोर को कभी,
न जाने कौन सी शाम जिंदगी की आखरी शाम होती है !        (Written by-Kishor Saklani)

                         (4)
न जाने खुदा ने क्यूँ आपसे मिलाया  होगा..
दूरियां होने के बादभी,
क्यूँ हमारे दिलो को करीब लाया होगा!
जानता हूँ चाहकर भी मिल न पाएंगे कभी हम,
फिर न जाने क्यूँ खुदा ने ये रिश्ता बनाया होगा!
(Written by-Kishor Saklani)

                 (5)
प्यार है  तो तकरार  भी होगी,
खुशी है तो तकलीफ भी होगी!
गम क्यों करें किसी से बिछुड़ने  का,
मिलन हुआ है तो जुदाई  भी होगी!
(Written by-Kishor Saklani)

                      (6)
आज फिर सुबह-सुबह आपसे बात हो गई,
एक खूबसूरत दिन की फिर से शुरुआत हो गई!
हमारा  सारा  दिन यूँ  ही खुशी से कट जाये,
हमें पता भी न चले  फिर से कब  रात  हो गई!
(Written by-Kishor Saklani)

                           (7)
आज फिर उसने  हमसे मुँह  मोड़  लिया,
शायद ये सोचकर की उसने हमको गम में छोड़ दिया!
उसको क्या पता वाकिफ जब से हुये,
प्यार करने वालो की इन आदतों  से हम!
मुस्कुराना भले ही भूल गए उस दिन से,
लेकिन गम को मीठा दर्द बताकर गम में रहना भी छोड़ दिया!(Written by-Kishor Saklani)

                    (8)
खुदा से इश्क ए-फरियाद करता हूँ,
खुद से भी ज्यादा जिसे में प्यार करता हूँ!
कोई भी दर्द छू न पाये उसके दिल को,
अपनी हर दुआ में जिसे मैं याद करता हूँ!
(Written by-Kishor Saklani)
               
                    (9)
अपने अश्क  को यूँ बर्बाद न कर!
बहा के अश्क खुद को यूँ लाचार न कर!
बुरा वक़्त  जो गुजरा  है तेरा,
उस वक़्त को तू याद न कर!
खुद ही चलना है तुझे तेरी मंजिल  तक,
बढ़ने दे कदम तू , किसी का इंतजार न कर!
(Written by-Kishor Saklani)

                      (10)
क्यों कहती हो की याद बहुत आते हो तुम!
क्यों कहती हो की बहुत सताते  हो तुम!
न जाने कौन सी बात है ऐसी
न छुपा पाती हो न बयां कर पाती हो तुम!
(Written by-Kishor Saklani)

 
                           (11)
काश कोई कुछ दिन के लिए मेरे भी खयालों में आता,
मैं भी खामोश रहकर यूं ही टिकटोक नहीं चलाता!
प्यार भरी गुफ्तगू उसके साथ में भी करता,
लॉक डाउन के बाद भले ही मैं उससे दूर हो जाता!
🤣🤣🤣🤣😆😁😁🤣🤣😅😂😂😂
                    किशोर सकलानी

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