जीवन जीने के तौर तरीके बदलने लगें हैं, लोग बदलने लगें हैं, माहौल बदलने लगा है, शादी जिसको जीवन का पवित्र बंधन माना जाता है, जिसमें कई रस्मे निभाई जाती है साथ जीने मरने कि कस्मे खाई जाती हैं, पहले ये कस्मे निभाई भी जाती थी, लेकिन अब कई बार देखा जाने लगा है कि शादी होने के बाद एक रिश्ता ज़्यादा दिनों तक नहीं टिकता, कुछ ना कुछ वजहों से ये रिश्ते बिखरते नज़र आते हैं, जहाँ एक तरफ शादी का ये रिश्ता जीवन को सरल बनाने के लिए जोड़ा जाता है वहीं कई रिश्तों में इसके उलट होने लगा है लोग शादी के बाद ज़्यादा परेशान दिखाई पड़ते हैं शादी से पहले खुशमिजाज रहने वाला इंसान शादी के बाद डिप्रेशन का शिकार बनने लगता है, ऐसे रिश्तों ने समाज में शादी के प्रति लोगों के मन में कहीं ना कहीं डर का माहौल पैदा किया है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है, आज कि कुछ लड़कियों का परिवार के साथ असहज महसूस करना, एक परिवार में लड़की जब पत्नी बनके जाती है तो वो घर के काम करने लगती है वो अपने काम को ज़िम्मेदारी समझे तो ठीक है लेकिन वो अंदर से ख़ुद को घर कि नौकरानी समझने लगती हैं, वहीं दूसरी तरफ वो अपनी मनमर्जी से परिवार में रहना चाहती है, जिससे रिश्तों में कड़वाहट पैदा होने लगी है, लेकिन ये समझना जरुरी है कि एक परिवार में मनमर्जी से नहीं रहा जा सकता मनमर्जी से रहने के लिए अकेला जीना बेहतर निर्णय हो सकता है, परिवार में रहने के लिए सभी लोगों को समझना पड़ता है, हमें सभी चीजों को ध्यान में रखकर निर्णय लेने पड़ते हैं शादी के बाद हमारी सारी खुशियाँ परिवार को लेकर होती है, इसलिए रिश्तों कि अहमियत समझे छोटी छोटी चीजों के लिए ज़िद ना करें, अपनी और दूसरे कि ज़िन्दगी नर्क ना बनाये, शादी करके एक परिवार के लिए अपना फर्ज़ निभाएं!... Kishor saklani
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