Wednesday, February 2, 2022

"कोहरे की चादर"।

मैं लगभग 2 साल से दिल्ली में नौकरी करता हूं। मैं यहाँ किराए के मकान में रह रहा हूं।  मैं हर रोज सुबह ऑफिस के लिए निकल जाता हूं। लेकिन कभी-कभी ऑफिस  निकलने से पहले मैं 10-15 मिनट के लिए छत पर टहलने जरूर जाता हूँ!  बात आज से एक डेढ़ महीने पहले की है उस दिन मैं ऑफिस निकलने से पहले छत पर गया हुआ था। तो मेरी नजर अचानक एक लड़की पर जाकर रुक गई  जिसका घर 2-4 मकान छोड़कर था। वह छत पर बाल बना रही थी और जैसे ही मेरी नजर उस पर पड़ी तो वो भी बस मुझे देख ही रही थी  मुझे देखते ही वो मुस्कुराई और फिर उसने शरमाकर उसने अपनी नजरें झुका ली। उसकी हंसी इतनी प्यारी थी कि मैं उसे कुछ देर तक देखता रहा, फिर बार-बार मेरी नजरों के सामने उसका वो मुस्कुराता चेहरा आने लगा। मानो उसकी मुस्कान ने मुझ पर कोई जादू कर दिया हो । ऑफिस में पुरे दिन मैं उसके ख्यालों में खोया रहता और उस दिन के बाद में उस लड़की को देखने रोज सुबह छत में जाने लगा। उसे देखने की मुझे आदत जो हो चुकी थी। दिल को सुकून मिलता था उसे देखकर।  और वो भी रोज उसी समय छत पर आने लगी शायद उसको भी मेरी आदत हो चुकी थी,  हमारे बीच इक अनकहा रिश्ता बन चुका था, आज 10 से 15 दिन हो गए। मैं रोज उसे देखने छत पर जाता हूँ लेकिन उसे देख नहीं पाता क्योंकि हमारे बीच रोज सुबह एक कोहरे की चादर आ जाती है!  और अब मुझे इंतजार है उस सुबह का। जब वो कोहरे की चादर हटेगी। और मैं फिर उसे रोज की तरह देख सकूंगा।

Written By-Kishor Saklani.

(यह कहानी सिर्फ काल्पनिक है।)

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