एक वक़्त ऐसा भी था जब गांव में हर रोज शाम को सारे दोस्त इक्क्ठे हुआ करते थे, और ख़ूब मौज मस्ती किया करते थे, तब हमें दुनियादारी से कोई लेना देना नहीं होता था, बस दोस्तों के साथ मौज मस्ती करते करते वो शामें कट जाया करती थी, हमें उस वक़्त ये आभास तक ना था कि जिन दोस्तों के साथ हम आज इतने आनंदित हो रहे हैं , जीवन कि व्यस्तता के चलते एक वक़्त के बाद हम सारे दोस्त एक दूसरे से इतने दूर हो जायेंगे की हमारे लिए एक दूसरे का हाल चाल पूछने तक का समय निकालना भी मुश्किल पड़ जायेगा, आज कौन सा दोस्त ज़िन्दगी के किस दौर से गुजर रहा है हमें नहीं पता, ऐसा नहीं की हमें दोस्तों से कोई शिकायत है या उनसे कोई नाराज़गी है , बल्कि हम अपनी जिंदगी की उलझनों में इतने उलझ के रह जाते है की हम किसी और के लिए वक़्त ही नहीं निकाल पाते, फिर धीरे धीरे यहीं सब हमारी आदतों में शामिल हो जाता है, ज़िन्दगी बढ़ने के साथ साथ हम बहुत सारी उलझनों के बीच में ही उलझ कर रह जाते हैं! लेकिन अपने उन दोस्तों के लिए ऊपर वाले से यहीं प्रार्थना है की हमेशा भगवान उन्हें ख़ुश रखें!... Kishor Saklani
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