Sunday, May 10, 2020

माँ!

बेटा हूँ  में, बेटे का फर्ज़ निभाउंगा!
फिर भी कभी ना माँ के प्यार का कर्ज चुका पाउँगा!
कितने भी कर लूँ नेकी के करम,
चाहे बदलू सारे में धरम!
मैं तो हमेशा माँ के चरणों कि ही धूल रहूँगा!


बेटा हूँ  में, बेटे का फर्ज़ निभाउंगा!
फिर भी कभी ना माँ के प्यार का कर्ज चुका पाउँगा!

मुझे पेट में पाला था जब,
घर भी संभाला होगा उसने!
कितना कष्ट हुआ होगा,
हमको जन्म दिया जब उसने!
इतना कष्ट माँ ही सह सकती है,
मै नहीं इतना कष्ट सह पाउँगा

बेटा हूँ  में, बेटे का फर्ज़ निभाउंगा!
फिर भी कभी ना माँ के प्यार का कर्ज चुका पाउँगा!

चाहे खुद भूखी रह जाये माँ,
बच्चो को भूखा नहीं रहने देती!
खाना कम हो जाये तो,
मुझे भूख नहीं माँ कह देती!
अपने बच्चो के खातिर
जो भूख, प्यास त्याग देती!
ऐसी माँ कि ममता को में कैसे भुलाउँगा!

बेटा हूँ  में, बेटे का फर्ज़ निभाउंगा!
फिर भी कभी ना माँ के प्यार का कर्ज चुका पाउँगा!
 Written by-Kishor Saklani.

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