आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
थोड़ी शैतानियां और करना थोड़ी सी नादानियां चाहता है!
भले ही मेरे हंसने की कोई वजह ना हो और ना ही रोने की वजह!
फिर भी न जाने यह दिल क्यों आज थोड़ा सा हंसना और थोड़ा सा रोना चाहता है!
याद है मुझे बचपन के वह दिन छोटी सी बात के लिए जिद करना और रूठ जाना,
याद है मुझे बचपन के वह दिन छोटी सी बात के लिए जिद करना और रूठ जाना!
लेकिन मेरे रूठने पर मनाने जो मुझे एक ऐसा ही खिलौना चाहता है!
आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
अगर लग जाए थोड़ी सी चोट तो, नाटक कर मां को बड़ी चोट दिखाना चाहता है!
क्योंकि आज मेरा दिल फिर से रोते-रोते मां के आंचल में सोने का बहाना चाहता है!
आ
मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
एक पल में दोस्तों से लड़ाई कर दूसरे ही पल उन्हें मनाना चाहता है!
मिल जाया करती थी जो खुशी, खेल-खेल में बने घर से,
एक ऐसा ही आशियाना चाहता है!
आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
आज दिल फिर से वही बचपन की बहार चाहता है!
वही मस्ती वाला इतवार चाहता है!
सभी लोगों का वैसा ही प्यार और दुलार चाहता है!
Written by-:Kishor Saklani
आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
थोड़ी शैतानियां और करना थोड़ी सी नादानियां चाहता है!
भले ही मेरे हंसने की कोई वजह ना हो और ना ही रोने की वजह!
फिर भी न जाने यह दिल क्यों आज थोड़ा सा हंसना और थोड़ा सा रोना चाहता है!
याद है मुझे बचपन के वह दिन छोटी सी बात के लिए जिद करना और रूठ जाना,
याद है मुझे बचपन के वह दिन छोटी सी बात के लिए जिद करना और रूठ जाना!
लेकिन मेरे रूठने पर मनाने जो मुझे एक ऐसा ही खिलौना चाहता है!
आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
अगर लग जाए थोड़ी सी चोट तो, नाटक कर मां को बड़ी चोट दिखाना चाहता है!
क्योंकि आज मेरा दिल फिर से रोते-रोते मां के आंचल में सोने का बहाना चाहता है!
आ
मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
एक पल में दोस्तों से लड़ाई कर दूसरे ही पल उन्हें मनाना चाहता है!
मिल जाया करती थी जो खुशी, खेल-खेल में बने घर से,
एक ऐसा ही आशियाना चाहता है!
आज मेरा दिल बचपन की यादों में खोना चाहता है!
आज दिल फिर से वही बचपन की बहार चाहता है!
वही मस्ती वाला इतवार चाहता है!
सभी लोगों का वैसा ही प्यार और दुलार चाहता है!
Written by-:Kishor Saklani
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